independence day poem in hindi
Independence Day Poems in Hindi
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Namaskar dosto kaise hai aap dosto sabse phale to aap sbhi to happy independence day dosto 15 August hmare liye bhut hi important din hia kyo ki aaj hmare bharat ko angrejo ki gulami se aajadi milithi iss liye aaj ke din me hmare bharat me ak tyohar ki tarah mnaya jata hai or dosto aap ko aaj ke din independence day par hmari aajadi ki kvitaye sunna to bhut aacha lagta hoga or in kvitao ko sunkar hum sbhi garv mhasus karte hai
iss liye aaj hum aap ko 15 August par kuch best independence day poem ke baare me btayege jinhe aap niche se read kar sakte hai ....
best independence day poem in hindi
बच्चा-बच्चा बन जाए सैनिक,गर बुरी नजर दुश्मन डाले
हस्ती उसकी मिलाएं खाक में, करे कभी जो हमला वे
हस्ती उसकी मिलाएं खाक में, करे कभी जो हमला वे
भाईचारा रखें परस्पर, अमन चैन का नारा हो
सद्भावना, शांति रखें दिलों में, जाति, धर्म का न बंटवारा…
सद्भावना, शांति रखें दिलों में, जाति, धर्म का न बंटवारा…
बनें पहिए प्रगति के रथ के,सबसे आगे बढ़ते जाएं
कर दें रौशन नाम जहां में, देश का अपने मान बढ़ाएं
आजादी की वर्षगांठ की ,छटा निराली बढ़ती जाए
खुशहाली के फूल हों बिखरे,खुश्बू से चमन महकाएं
आओ आज़ादी दिवस मनाएं
आओ आज़ादी दिवस मनाएं
Beautiful 15 August Independence Day Poems in Hindi
15 अगस्त पर कविता
सन ‘५६ में जन्मी
आज की युवा पीढी
पराधीनताओं की कुंठाओं
तथा सभी वास्तविकताओं से
अनभिज्ञ ही है
हमारी विचार धाराएं
एवं स्मृतियाँ
स्वतंत्रता को केवल
ध्वजारोहण के सन्दर्भ में ले सकीं हैं
अथवा
इससे अधिक
देशभक्ति भावनाओं से
ओत-प्रोत कुछ क्षण
जो समय के साथ साथ
या उस से कहीं पहले
अपना अस्तित्व
खो देते हैं -और
जिसके साथ ही समाप्त
हो जाता है –
सद्भावनाओं से प्रेरित
एक ज्वार
ज्वार जिसे कभी
चन्द्र रूपी देश प्रेम की
सौम्यता ने जन्मा था
सागर की
फेनिल लहरों में खोकर
अपने जन्म दाता के
अस्तित्व को नकार रहा है
सोचता हूँ –
हमारा प्रेम ,
हमारी भावनाएं ,
इतनी क्षणिक क्यों हैं ?
देश प्रेम -हमारी और आपकी वह उपलब्धि है
जिस की सुरक्षा
हमारी सजग चेतना का
प्रतीक है
हमें सजग रहना होगा
तभी हम विरासत के इस ऋण से मुक्त रह सकेंगे
इस महान
हमारे गौरवपूर्ण इतिहास एवं
इसमें जीवंत प्रत्येक कर्मठ मानव को है
जो इस भावना के प्रति
सदैव क्रियाशील रहा.
-कमलप्रीत सिंह
15 अगस्त 1947 का दिन
अभी-अभी बम के धमाको़ से
चीख़ उठा है शहर
बच्चे, बूढे,जवान
अनगिनत लाशों का ढेर
इस हृदय विदारक वारदात की
कहानी कह रहा है
ओह!
यह कैसी आजा़दी है
जो घोल रही है
मेरे और तुम्हारे बीच
खौ़फ, आग और विष का धुआँ?
हमारे होठों पे थिरकती हंसी को
समेटकर
दुबक गई है
किसी देशद्रोही की जेब में
और हम
चुपचाप देख रहे हैं
अपने सपनों को
अपने महलों को
अपनी आकांक्षाओं को
बारूद में जलकर
राख़ में बदलते हुए.
15 अगस्त के लिए कविता
हमको प्यारा है भारत, हमारा वतन
सारी दुनियां का सबसे सुहाना चमन।
हम है पंछी, ये गुलषन यहॉ बैठ मन
चैन पाता, सजाता नये नित सपन ।।
इसकी माटी में खुषबू है, एक आब है
जैसा कष्मीर दो-आब, पंजाब है।
सारी धरती उगलती है सोना रतन
सब भरे खेत-खलिहान, मैदान वन।।
आदमी में मोहब्बल है, इन्साफ है
खुली बातें है, जजबा है, दिल साफ है।
मन हिमालय से ऊंचा, जो छूता गगन
चाहते दिल से सब अंजुमन में अमन।।
पंछियों की भले हों कई टोलियॉं
रूप रंग मिलते-जुलते है औं बोलियॉं
फितरतों में फरक फिर भी है एक मन
सबको प्यारा है खुद से भी ज्यादा चमन।।
क्यारियॉं भी यहॉं है कई रंग की
जिनमें किसमें है फूलों के हर रंग की
एकता ममता समता की ले पर चलन
सबमें बहता मलय का सुगंधित पवन।।
इसकी तहजीब का कोई सानी नहीं
जो पुरानी है फिर भी पुरानी नहीं
मुबारिक यहॉं का ईद-होली मिलन
इसकी शोभा यही है ये गंगोजमन।।
To dosto aaj ka hmara post aap ko kaisa lga me commeant kar ke jrur btaye or agar aap ko hmare duvara likhi gyi ye kvitaye aachi lgi to aap inka istemal 15 August par kar sakte hai or aap aap in poem ke bare me hme commeant me btaye ...
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